देश

भारत के पास कई हफ्तों का तेल भंडार, होर्मुज मार्ग से नहीं आता है रूस का तेल, क्या होगा इसका असर ?

अमेरिकी हमले के विरोध में ईरान की संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने को मंजूरी दे दी है। हालांकि अंतिम निर्णय के लिए शीर्ष सुरक्षा निकाय की मंजूरी जरूरी होगी। फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाले इस संकरे मार्ग से दुनिया में तेल का बड़ा कारोबार होता है। अगर यह बंद हुआ, तो पूरी दुनिया में तेल के भाव बढ़ जाएंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने चीन से आग्रह किया कि वह ईरान को इस मार्ग को बंद करने से रोके। हालांकि, भारत के पास कई हफ्तों तक अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त तेल है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत कई मार्गों से ऊर्जा आपूर्ति प्राप्त कर रहा है। बता दें कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और चौथा सबसे बड़ा गैस खरीदार है। पुरी ने कहा, “सरकार दो हफ्तों से पश्चिम एशिया के हालात पर बारीक नजर रखे हुए है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति में विविधता लाए हैं। अब हमारी अधिकांश आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य से नहीं आती। भारत के कुल 55 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तेल आयात में से लगभग 20 लाख बीपीडी ही इस संकरे जलमार्ग से होकर आता है। हालांकि, भारत ने बीते कुछ साल में रूस, अमेरिका व ब्राजील जैसे अलग-अलग देशों से तेल आपूर्ति सुनिश्चित की है”।

होर्मुज से नहीं आता रूस का तेल :-
रूस से आने वाला तेल होर्मुज मार्ग से नहीं आता है। यह स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के रास्ते आता है। अमेरिका, प. अफ्रीका व लैटिन अमेरिका से आपूर्ति, हालांकि महंगी है, पर तेजी से व्यवहार्य विकल्प बन रही है। पुरी ने कहा कि हम अपनी ईंधन आपूर्ति की स्थिरता के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।

भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होगी :-
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विशेष राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण कुमार बेहरा ने कहा कि इस संकीर्ण मार्ग के बंद होने से ऊर्जा बाजारों पर वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा और भारत की ऊर्जा सुरक्षा भी प्रभावित होगी। उन्होंने कहा, “इस महत्वपूर्ण शिपिंग मार्ग में कोई भी व्यवधान, जो कि एक भू-राजनीतिक टकराव का बिन्दु है, इराक से तथा कुछ हद तक सऊदी अरब से भारत के कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेगा”।

समुद्री मार्ग बंद होने से बीमा प्रीमियम बढ़ेगा :-
खाड़ी क्षेत्र के घटनाक्रमों पर करीबी नजर रखने वाले भारतीय नौसेना के पूर्व प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा (सेवानिवृत्त) ने भी कहा कि होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करने की ईरान की धमकी से वैश्विक तेल व्यापार में महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि नौवहन में किसी भी प्रकार का व्यवधान बीमा प्रीमियम को प्रभावित कर सकता है, जिससे तेल ढुलाई का मार्ग बदलना महंगा हो सकता है।

तेल की कीमतें बढ़ने का डर :-
शर्मा ने कहा कि क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण पहले से ही तेल की कीमतों में उछाल आने की आशंका है। ऐसे में अगर ईरान जवाबी कार्रवाई करता है तो कीमतें 80-90 डॉलर प्रति बैरल या यहां तक कि 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय देशों की मुद्राओं में काफी अस्थिरता भी आ सकती है और निवेशक अन्य स्थिर बाजार की ओर रुख कर सकते हैं जिसका क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है।

ईरान को होगा काफी नुकसान : रूबिन :-
अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रूबिन ने कहा कि अगर ईरान ने होर्मुज मार्ग बंद किया तो उसे काफी नुकसान होगा। उन्होंने कहा, एशिया में जाने वाला 44 प्रतिशत तेल इसी रास्ते से जाता है। इसका ज्यादा हिस्सा चीन को जाता है। अमेरिकी आतंकवाद वित्त विश्लेषक जोनाथन शैन्जर ने कहा कि यदि ईरान होर्मुज मार्ग बंद करने का प्रयास करता है तो अमेरिका कड़ा जवाब देगा। ब्रिटेन और फ्रांस भी इसमें हमारा साथ देंगे। ईरान का यह कदम आत्मघाती होगा।

पश्चिम एशिया से भारत के व्यापार पर असर :-
युद्ध बढ़ने से इराक, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया व यमन सहित पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार पर व्यापक असर पड़ेगा। भारत इन्हें 8.6 अरब डॉलर का निर्यात और 33.1 अरब डॉलर का आयात करता है। होर्मुज मार्ग के बंद होने से माल ढुलाई भी बढ़ेगी। कच्चे तेल का हर चौथा जहाज यहीं से आता है। दुनियाभर में रोजाना 30% तेल की आपूर्ति यहीं से होती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button