उत्तर प्रदेश में नई बिजली दरों का फैसला अगले सप्ताह, दाम बढ़ाने को लेकर लग रहे हैं ये कयास

उत्तर प्रदेश में बिजली दरें अगले सप्ताह जारी हो सकती हैं। उम्मीद है कि इस वर्ष भी दरों के बढ़ोतरी नहीं होगी। यदि ऐसा हुआ तो छह साल से बिजली दर ना बढ़ाने के मामले में उत्तर प्रदेश नया रिकॉर्ड कायम करेगा। प्रदेश में विभिन्न निगमों की ओर से पावर कार्पोरेशन नए टैरिफ का प्रस्ताव दाखिल कर चुका है। पावर कॉर्पोरेशन ने करीब 24022 करोड़ के घाटे के हवाला दिया है। अलग- अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं के 28 से 45 फीसदी तक बिजली दर बढ़ाने की मांग की है। इसे लेकर विभिन्न निगमों में नियामक आयोग जन सुनवाई कर चुका है।
अब उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक बिजली दरें जारी हो जाएंगी। विभिन्न सुनवाई में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली दर बढ़ाने का विरोध किया है। आंकड़ों के साथ ही विधिक राय भी रखी है। नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव भी दाखिल कर रखा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा वर्मा का कहना है कि बिजली दरों में बढ़ोतरी व निजीकरण प्रस्ताव पर नियमों के तहत आयोग को विश्लेषण करने की जरूरत है। परिषद के अनुसार राज्य की बिजली कंपनियां में उपभोक्ताओं का करीब 3,000 से 4,000 करोड़ तक का सरप्लस (अधिशेष) है, जो बढ़ भी सकता है।
करीब 33122 करोड़ पहले से ही सरप्लस चला आ रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओं के इस सरप्लस को लौटाने की जरूरत है। ऐसे में बिजली दर बढोतरी की गुंजाइश खत्म हो गई है। बिजली दर बढ़ाने के बजाय उपभोक्ताओं को राहत देने की जरूरत है। नियामक आयोग से मांग की गई है कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे और उपभोक्ताओं को राहत दें।
उपभोक्ता परिषद ने की मांग :-
● उपभोक्ता परिषद ने मांग की कि बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी तत्काल रोकी जाए और उपभोक्ताओं के सरप्लस के आधार पर दरों में कमी की जाए।
● ट्रू-अप और वित्तीय आंकड़ों की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच हो।
● निजीकरण प्रस्ताव को जब तक आंकड़े स्पष्ट न हों, तब तक स्थगित रखा जाए।
● भ्रामक आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

ऊर्जा मंत्री के हाईपावर कमेटी में हुआ मंथन :-
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की मौजूदगी में शुक्रवार को ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें पावर कार्पोरेशन औरऊर्जा सेक्टर से जुड़े तमाम अधिकारी मौजूद रहे। इस बैठक में बिजली व्यवस्था सुधारने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में ऊर्जा मंत्री ने विभाग के आय- व्यय और विभिन्न परियोजनाओं पर होने वाले खर्च के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान नए सत्र के टैरिफ पर भी चर्चा की गई। निगमों की ओर से दिए गए तर्क और जनता पर पड़ने वाले भार की जानकारी ली। ऊर्जा मंत्री ने भी कहा कि बिजली दरें तय करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि उपभोक्ताओं पर ज्यादा भार न पड़ने पाए। सूत्रों का यह भी कहना है कि बैठक में निजीकरण की अब तक अपनाई गई प्रक्रिया पर भी चर्चा हुई। निजीकरण को आगे बढ़ने के लिए भविष्य की रणनीति पर भी विचार विमर्श किया गया।




