उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश – फिर से स्कूल भेजे जाएंगे 68913 ड्रॉप बच्चे, नामांकन के लिए चलाया जाएगा अभियान, नियुक्त होंगे प्रशिक्षक

उत्तर प्रदेश में सात से 14 साल के 68,913 आउट ऑफ स्कूल बच्चों को चिह्नित किया गया है। इनका नामांकन कराया जाएगा। बाद में इन बच्चों के लिए एक अगस्त से 31 मार्च तक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगा जाएगा। इसके जरिये बच्चों की छूटी पढ़ाई को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए पूर्व शिक्षक या विशेष प्रशिक्षक की तैनाती की जाएगी। इन्हें मार्च तक 4,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक कंचन वर्मा ने सभी बीएसए, बीईओ व डीसी को जारी निर्देश में कहा गया है कि एक से पांच आउट ऑफ स्कूल बच्चों की संख्या पर विद्यालय के नोडल अध्यापक द्वारा इन बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। पांच से अधिक आउट ऑफ स्कूल बच्चों पर शिक्षण कार्य के लिए एसएमसी के माध्यम से विशेष प्रशिक्षक (सेवानिवृत शिक्षक या वॉलिंटियर) का चयन किया जाएगा।

सर्वोदय विद्यालयों के शिक्षकों को दी एआई की ट्रेनिंग :-
टीसीएस-सीएसआर स्कूल प्रोग्राम टीम के सहयोग से जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एक वर्चुअल सत्र का आयोजन किया गया। इसमें एआई के विविध उपयोग की जानकारी दी गई। वहीं, एआई का शिक्षा व संस्थाओं के क्षेत्र में उपयोग और एनसीईआरटी के प्रस्तावित एआई पाठ्यक्रम की संरचना आदि पर भी चर्चा की गई।

अनुकंपा नियुक्ति की मांग :-
उत्तर प्रदेश क्षय रोग वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरुणाशंकर मिश्र ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत कार्यरत कर्मियों के निधन पर उनके परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है। पत्र में यह भी बताया गया है कि मध्य प्रदेश में दिवंगत कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने का आदेश एक जुलाई 2025 को जारी किया गया है।

फुपुक्टा का चुनाव कराने की मांग :-
प्रदेश भर के शिक्षकों ने सितंबर में पूरा हो रहे उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक संघ (फुपुक्टा) के प्रदेश संगठन चुनाव की अधिसूचना जारी करने की मांग की है। संगठन का चुनाव 2022 में हुआ था। उस समय जुलाई में अधिसूचना जारी की गई थी। ऐसे में फुपुक्टा के संगठन का चुनाव कराने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। इसमें देरी से संगठन के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इससे शिक्षकों के लाभ, समस्या निवारण की प्रक्रिया, प्रोन्नति, तबादले आदि भी प्रभावित हो सकता है।

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