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“डॉक्टर डेथ” की कहानी : किडनी निकालकर कत्ल, अपहरण के बाद लूटे वाहन और फिर मार डाला, लाशों के साथ किया था ये काम

Aligarh Crime News :- कुख्यात डॉ. देवेंद्र शर्मा उर्फ डाक्टर डेथ को लेकर रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। छर्रा इलाके के गांव पुरैनी का यह दुर्दांत अपराधी गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। पुलिस के क्राइम रिकॉर्ड से इतर, अगर इसकी जरायम हिस्ट्री पर ध्यान दें तो डॉक्टर डेथ ने छर्रा-बरला क्षेत्र के ईंट भट्ठों में भी 50 लाशें फुंकवा दीं थीं।

इनमें से कुछ का अपहरण कर उनके वाहन लूटे गए तो कुछ की किडनी निकालकर हत्या की गई। मुरादाबाद के बहुचर्चित किडनी कांड के मुख्य आरोपी डॉ. अमित से भी इसका नाम जुड़ा, तब यह खासा सुर्खियों व पुलिस की नजर में आया।

1998 में किडनी रैकेट बनाया :-
बेशक मुरादाबाद का किडनी कांड 2008 में सुर्खियों में आया। तब डा. अमित के पीछे मुरादाबाद पुलिस लगी। उसके गुरुग्राम सेंटर पर छापा मारकर कई लोग पकड़े। मगर अमित भाग गया था। मगर खुद देवेंद्र ने स्वीकारा कि अमित की व उसकी पुरानी मुलाकात थी। अमित ने उससे ट्रांसप्लाट के लिए किडनी दिलवाने को कहा। तब उसने अमित संग मिलकर 1998 से यह धंधा शुरू किया।

इसके लिए कार चालकों की हत्या कर उनकी किडनी निकालने के साथ-साथ राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली के रेलवे स्टेशन, बस अड्डों से मजदूर वर्ग के लोगों को लालच देकर उनकी किडनी निकालने का भी काम किया। हालांकि 2004 में देवेंद्र पकड़ा गया। मगर 2008 में मुरादाबाद कांड में उसका नाम शामिल नहीं हो पाया था।

डॉक्टर की झूठी गवाही पर हुई थी श्यौराज को उम्र कैद :-
डाक्टर की गवाही पर बरला थाना क्षेत्र के गांव दिलालपुर निवासी श्यौराज को भी एक टैक्सी चालक की अपहरण के बाद हत्या करने के मामले में उम्र कैद की सजा हो गई थी। उस समय इसे मुद्दा बनाया गया था। मामला सुर्खियों में आया तो सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल हुई, इस पर सुनवाई में श्यौराज बेगुनाह साबित हुए और उनकी रिहाई हुई थी।

लगभग 13 साल पहले हरियाणा पलवल के एक टैक्सी चालक की अपहरण के बाद हत्या के मामले में श्यौराज को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में देवेंद्र भी आरोपी था। उसने पुलिस से कहा था कि हत्या के समय श्यौराज दिलालपुर भी उसके साथ था और कोर्ट में भी यही बयान दोहराया। जिसके बाद उसे सजा हो गई थी। श्यौराज की पत्नी ने कहा था कि किसी और को बचाने के लिए देवेंद्र ने श्यौराज को फंसाया है। अलीगढ़ और हरियाणा पुलिस को साक्ष्य दिए गए। इसके बाद सीओ की जांच रिपोर्ट आई, जिसे आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई। फैसला उसके हक में आया और छह साल तक जेल में सजा काटने के बाद उसे बरी किया गया।

टावर लगाने के नाम पर की थी धोखाधड़ी :-
अलीगढ़ में डॉक्टर देवेंद्र पर पुलिस ने शिकंजा कस दिया था। उसकी हिस्ट्रीशीट खोल दी गई थी। इसके बाद वह राजस्थान चला गया और दौसा में जनता क्लीनिक खोल दिया। वहां इसने टॉवर लगाने के नाम पर लोगों से 11 लाख रुपये ठग लिए थे।

पैरोल पर रिहा होने के बाद कराया था बैनामा :-
दिल्ली से पैरोल पर रिहा होने के बाद उसने छर्रा थाने में 20 दिन तक हाजिरी लगाई थी। यह बात छर्रा थाने के रिकार्ड में भी दर्ज है। इसी बीच इसने गांव की अपने हिस्से की सात बीघा जमीन का बैनामा किया था।

कासगंज के रेलवे अफसर की बेटी से हुआ था विवाह :-
ग्रामीणों का कहना है कि देवेंद्र के पिता देवकीनंदन सिवान में एक दवा कंपनी में नौकरी करते थे। पढ़ा लिखा परिवार था, देवेंद्र ने बिहार में पटना विवि से बीएएमएस किया था। उसकी शादी भी उस समय कासगंज में रेलवे में तैनात रहे एक अफसर की बेटी से हुई थी। फिलहाल देवेंद्र का परिवार कहां है, इसकी जानकारी गांव में किसी को नहीं है।

पुलिस तो आती रही… मगर 33 साल से पुरैनी कभी नहीं आया डॉक्टर डेथ :-
अलीगढ़ में डॉक्टर डेथ यानी देवेंद्र शर्मा मूलरूप से छर्रा क्षेत्र के गांव पुरैनी का रहने वाला है। 33 साल पहले वह गांव छोड़कर राजस्थान चला गया था। इसके बाद वह गांव नहीं लौटा, इस दौरान पुलिस उसकी तलाश में जरूर आती-जाती रही। पुरैनी निवासी देवकीनंदन शर्मा के पुत्र देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी से गांव वालों को अचरज नहीं हुआ। उसकी करतूतों की जानकारी ग्रामीणों को पहले से रही है। उसका एक भाई सुरेंद्र शर्मा सीआईएसएफ में दरोगा है और कासिमपुर पॉवर हाउस में तैनात है।

पिता की 18 साल पहले और माता की करीब 55 साल पहले मौत हो गई थी। तहेरे भाई रामवीर शर्मा बताते हैं कि उसने बुलंदशहर में अपनी बहन के यहां रहकर इंटर की पढ़ाई की और उसके बाद पटना से बीएएमएस किया था। ग्रामीणों ने बताया कि उसने छर्रा में गैस की एजेंसी खोली थी। लेकिन वह चली नहीं लिहाजा साल 1992 में वह 500-500 रुपये में सिलिंडर बेचकर राजस्थान चला गया था।

उसके बाद से वह गांव नहीं आया। परिवार के लोगों से भी कभी संपर्क नहीं किया। बीच-बीच में पुलिस जरूर उसकी तलाश में गांव आई। सात बीघा पुश्तैनी जमीन है, जिसकी देखरेख के लिए उसका भाई सुरेंद्र गांव में आता-जाता रहता है। गांव का मकान इनका खंडहर हो गया है। गांव वालों ने कहना है कि सुरेंद्र के परिवार के बाकी सभी लोग अच्छे हैं। उन लोगों ने भी इससे अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए थे।

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