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Virat Kohli :- उतार चढ़ाव से भरा रहा है कोहली का टेस्ट करियर, अपने पहले ही ऑस्ट्रेलिया दौरे पर प्रशंसक से भिड़े

विराट कोहली बनना आसान नहीं है। यह बात उनके टेस्ट करियर में आए उतार चढ़ाव से साबित होती है। कोहली ने 14 साल के अपने करियर में कई उतार चढ़ाव देखे। इसका जिक्र उन्होंने सोमवार को संन्यास को लेकर अपने पोस्ट में भी किया। उन्होंने कहा कि इस प्रारूप ने उन्हें जो खुशी और साथ-साथ जो सबक दी है, उसे वह जिंदगी भर याद रखेंगे। कोहली ने 2011 में वनडे विश्व चैंपियन बनने के बाद टेस्ट डेब्यू किया था। डेब्यू अच्छा नहीं रहा, लेकिन कप्तान और कोच के भरोसे से उन्हें आगे भी मौके मिले।

वह अपने देश के लिए अपने पहले ही ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसक तक से भिड़ गए। उस प्रशंसक ने भारतीय टीम और खिलाड़ियों के साथ बदतमीजी की थी, जिसका कोहली ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसके बाद इंग्लैंड का एक खराब दौर भी आया जिसने कोहली को परेशान कर दिया था और सोचने पर मजबूर कर दिया था कि वह इस प्रारूप के लिए बने भी हैं या नहीं। हालांकि, इस दौरे से जो सीख उन्हें मिली, उसने आगे चलकर कोहली को एक विराट बल्लेबाज में तब्दील कर दिया। इसके बाद उन्होंने इस प्रारूप में खूब रन बनाए। वह 2014 में यानी डेब्यू के तीन साल बाद ही कप्तान भी बन गए। 2022 तक उन्होंने इस प्रारूप में कप्तानी की और भारत को कई ऐतिहासिक जीत दिलाए।

कोहली की कप्तानी में भारत ने 68 में से 40 टेस्ट जीते, 17 हारे और 11 ड्रॉ खेले। इससे साबित होता है कि कोहली की टीम अतीत की भारतीय टीमों से कितनी अलग थी। हालांकि, संन्यास से पहले फिर एक समय ऐसा भी आया जब वह इस प्रारूप में शतक के लिए जूझते दिखे। कोहली का टेस्ट करियर उतार चढ़ाव से भरा रहा है। टेस्ट में कभी उनका औसत 50 से ऊपर था, जो पिछले कुछ वर्षों में काफी गिरा और 50 के अंदर आ गया। कोहली ने हमेशा टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता माना और कभी मेहनत से पीछे नहीं हटे। आइए उनके करियर के कुछ अहम पलों पर एक नजर डालते हैं…

2011 में वेस्टइंडीज में टेस्ट डेब्यू :-
2011 वनडे विश्व कप जीतने के बाद कोहली ने 20 जून को टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया। कैप नंबर 269 उन्हें मिली और वेस्टइंडीज दौरे पर तीन टेस्ट में उन्होंने 76 रन बनाए। इस दौरे के बाद वह चिंतित दिखे थे, लेकिन उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था, “मैं हार नहीं मानूंगा”।

सिडनी में प्रशंसक से भिड़ना :-
कोहली को 2011-12 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था। य़ह उनका पहला ऑस्ट्रेलिया दौरा था। इस दौरे पर टीम के खराब प्रदर्शन के बीच वह एक ऑस्ट्रेलिया प्रशंसक द्वारा बदतमीजी किए जाने पर उससे भिड़ गए थे। उस समय ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 4-0 से हराया था। तब ग्रेग चैपल ने कहा था, “भारतीय टेस्ट क्रिकेट में दिलचस्पी नहीं रखते”। उनके इस बयान के बाद दर्शकों के बर्ताव से गुस्साए कोहली ने एक प्रशंसक की छींटाकशी का उसी अंदाज में जवाब दिया था। तब उन्हें मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ा था।

ऑस्ट्रेलिया में पहला टेस्ट शतक :-
कोहली के टेस्ट करियर का पहला शतक ऑस्ट्रेलिया में ही आया था। तब भारतीय टीम के लिए कोहली छठे-सातवें नंबर पर बल्लेबाजी किया करते थे। क्योंकि तब भारतीय बल्लेबाजी लाइन अप में गंभीर, सहवाग, द्रविड़, सचिन और वीवीएस लक्ष्मण हुआ करते थे। ऐसे में कोहली को छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला था। शुरुआती तीन टेस्ट में उन्होंने कोई बड़ी पारी नहीं खेली। शुरुआती तीन टेस्ट की छह पारियों में उन्होंने 11, 0, 23, 9, 44, 75 रन की पारियां खेलीं। भारत शुरुआती तीनों टेस्ट हार चुका था। इसके बाद चौथा और आखिरी टेस्ट एडिलेड में खेला गया। इस टेस्ट में भारत ने अपनी पहली पारी में 272 रन बनाए, जिसमें से 116 रन विराट कोहली के थे। यह उनका टेस्ट करियर में पहला शतक रहा। अपनी 213 गेंद की पारी में उन्होंने 11 चौके और एक छक्का लगाया। हालांकि, अगली पारी में वह 22 रन ही बना सके और टीम इंडिया यह टेस्ट भी हार गई। हालांकि, कोहली ने पहला टेस्ट शतक जमाकर उज्जवल भविष्य के संकेत दिए।

दक्षिण अफ्रीका में शानदार प्रदर्शन :-
इसके बाद कोहली को अगला विदेशी दौरा 2013 में करने को मिला। तब टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर गई थी। भारतीय टीम दो टेस्ट मैचों की सीरीज 1-0 से हार गई, लेकिन कोहली ने पहले टेस्ट ही अपना जलवा बिखेरा। उन्होंने जोहानिसबर्ग में पहले टेस्ट में ही 119 और 96 रन बनाए। इसके बाद किंग्समीड में 46 और 11 रन की पारी खेली।

इंग्लैंड में खराब प्रदर्शन :-
कोहली को 2014 में इंग्लैंड के दौरे पर काफी कठिनाइयों को सामना करना पड़ा था। तब पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में वह सिर्फ 134 रन बना पाए थे। इस दौरे पर कोहली बुरी तरह नाकाम रहे थे और उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। वह जेम्स एंडरसन की स्विंग और सीम का सामना नहीं कर पाए। वनडे प्रारूप में खुद को साबित कर चुके कोहली के लिए करारा झटका था।

ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को धोया :-
इंग्लैंड दौरे पर नहीं चल पाने के बाद कोहली तनाव से भी जूझे थे। इसका जिक्र उन्होंने कई बार किया है। उन्हें खुद की काबीलियत पर शक होने लगा था और किसी से बात करना उन्हें पसंद नहीं था। वह चाहते थे कि कोई उन्हें आकर समझाए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था। इसके बाद 2014 के अंत में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई। इस दौरे पर एक नया कोहली देखने को मिला, जिसने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिए। इस दौरे पर उन्होंने चार शतक और दो अर्धशतकों के साथ 86.50 की औसत से 692 रन बनाए। मिचेल जॉनसन से लेकर मिचेल स्टार्क तक, सभी की उन्होंने जमकर धुनाई की। एडिलेड में पहले टेस्ट की दोनों पारियों शतक जड़ा। एडिलेड में उन्होंने पहली पारी में 115 रन और दूसरी पारी में 141 रन बनाए। इसके अलावा मेलबर्न में उन्होंने 169 रन और सिडनी में 147 रन की भी पारियां खेलीं। भारतीय टीम यह सीरीज भी हार गई, लेकिन कोहली एक मजबूत बल्लेबाज बनकर उभरे। इसी दौरे पर धोनी के संन्यास के बाद उन्हें टेस्ट का नया कप्तान भी नियुक्त किया गया।

कप्तान के रूप में कोहली की शुरुआत :-
नियमित कप्तान के रूप में कोहली की शुरुआत अच्छी रही थी। उनकी कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को सिडनी में ड्रॉ पर रोक दिया था। इसके बाद श्रीलंका के दौरे पर भारत गॉल में पहले टेस्ट में 63 रन से हार गया, लेकिन अगले दो टेस्ट में जबरदस्त वापसी करते हुए जीत हासिल की और सीरीज 2-1 से अपने नाम की। इस सीरीज में कोहली ने एक शतक भी लगाया।

दोहरे शतक की झड़ी लगाई :-
कोहली ने इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने करियर का पहला दोहरा शतक लगाया। जिस वेस्टइंडीज दौरे पर अपने डेब्यू पर वह परेशान हुए थे, वहीं उन्होंने सर विवियन रिचर्ड्स स्टेडियम में 200 रन की पारी खेली। फिर उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ होलकर स्टेडियम में 211 रन बनाए। इसके बाद मुंबई में इंग्लैंड के खिलाफ 235 रन बनाए। कोहली की कप्तानी में भारत ने इस सीरीज में इंग्लैंड को 4-0 से हराकर 2012-13 में मिली हार का बदला लिया था।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने घर में नहीं चले :-
कोहली का बल्ला ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2017 की सीरीज में नहीं चल सका। पुणे में पहले टेस्ट में कोहली बुरी तरह फ्लॉप रहे और भारत 333 रन से हार गया। भारत ने सीरीज 3-1 से जीती, लेकिन बतौर बल्लेबाज कोहली तीन टेस्ट में 46 रन ही बना सके।

पिछली यादों को भुलाकर इंग्लैंड में जबरदस्त वापसी :-
भारत ने 2018 में इंग्लैंड का दौरा किया था। तब सभी की नजरें विराट पर थीं, जो पिछले इंग्लैंड के दौरे पर फेल रहे थे। हालांकि, इस बार कोहली विराट तैयारियों के साथ आए थे। उन्होंने एंडरसन समेत सभी अंग्रेजी गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। विराट ने पांच टेस्ट में 593 रन बनाए। इसमें एजबेस्टन में पहले टेस्ट में 149 रन और 51 रन की पारी शामिल है। इसके अलावा उन्होंने लॉर्ड्स में 23 और 17 रन बनाए। फिर ट्रेंट ब्रिज में 103 और 46 रन की पारी खेली। रोज बाउल में उन्होंने 46 और 58 रन बनाए। फिर केनिंग्टन ओवल में 49 रन की पारी खेली।

ऑस्ट्रेलिया में रचा इतिहास :-
कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टीम करीब सात दशक में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाली पहली एशियाई टीम बनी। कोहली ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने वाले पहले एशियाई कप्तान बने। भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उनके घर में 2-1 से हराया था। इस सीरीज में भारतीय बल्लेबाजों का दबदबा रहा था। पुजारा ने सबसे ज्यादा 521 रन बनाए थे, जबकि पंत ने 350 रन और कोहली ने 282 रन बनाए थे। ये तीनों सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बना डाला सर्वोच्च टेस्ट स्कोर :-
पुणे में 2019 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने नाबाद 254 रन की पारी खेली, जो कि टेस्ट में उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी है। भारत ने तीन मैचों की सीरीज 3-0 से अपने नाम की। इसके बाद उन्होंने 2019 के नवंबर में बांग्लादेश के खिलाफ भी शतक लगाया।

शतकों का सूखा :-
साल 2020 से लेकर फरवरी 2023 तक कोहली का शतकों का सूखा रहा। वह टेस्ट में कोई शतक नहीं लगा पाए। हालांकि, 2023 के मार्च में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अहमदाबाद में 186 रन बनाकर शतकों का सूखा खत्म किया। फिर उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 121 रन की पारी खेली। वह साल 2020 से लेकर साल नवंबर 2024 तक टेस्ट में कुल तीन शतक ही लगा सके। उनके बल्ले से अर्धशतक तो निकल रहे थे, लेकिन कोहली जैसा ओहदा रखने वाले बल्लेबाज से फैंस को ज्यादा उम्मीद थी। इसका दबाव वह झेलने में नाकाम रहे।

पर्थ में शतक :-
न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में खराब प्रदर्शन के बाद कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पर्थ टेस्ट में नाबाद 100 रन बनाए। उनकी पारी की बदौलत भारत पर्थ टेस्ट जीतने में कामयाब रहा, लेकिन इसके बाद उनका बल्ला नहीं चल सका। बार बार स्लिप में आउट होना और डेब्यू कर रहे सैम कोंस्टास से कंधे टकराने वाले प्रकरण पर उनकी काफी आलोचना हुई। कोहली ने जहां करियर का पहला टेस्ट शतक लगाया, वही देश उनके आखिरी टेस्ट शतक का गवाह बना।

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