उत्तर प्रदेश

“स्मार्ट एप” फौरन पहचान लेगा शरीर में खून की कमी, गर्भवती महिलाओं में हो सकेगी एनीमिया की पहचान

इंजीनियरिंग के शोधार्थियों ने एक ऐसा स्मार्टफोन एप विकसित किया है, जो पलक झपकते ही आप के शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को पहचान लेगा। इसके लिए आपको इस एप के जरिए अपने फिंगरटिप की मात्र 10 सेकेंड की वीडियो अपलोड करनी होगी।फोटो-प्लेथिस्मोग्राफी तकनीक और एआई के जरिए यह एप आपके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जानकारी दे देगा। यह सब सिर्फ एक स्मार्टफोन से हो जाएगा। इसके लिए लैब में खून की जांच नहीं करानी होगी।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-2021 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 57 प्रतिशत महिलाएं और 67.1 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से पीड़ित हैं। सुदूर ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं व बच्चों में अकसर होने वाली खून व आयरन की कमी को पहचानने के लिए यह खोज बेहद कारगर साबित होने वाला है। एप की मदद से खून की कमी को त्वरित व सटीकता से पहचान कर समय पर उचित इलाज व पोषण मुहैया कराया जा सकेगा।

एमआईईटी कॉलेज मेरठ के आईटी इंजीनियरिंग के छात्रों सुमित मिश्रा और मानसी का यह शोध अब आरोग्यशक्ति के नाम से पेटेंट की प्रकिया में है। उप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिकों ने इस नवाचार के लिए शोधार्थियों की टीम को सम्मानित किया है। शोधार्थियों का दावा है कि भारत ही नहीं, दुनिया में अपने तरीके का यह ऐसा पहला स्मार्टफोन एप है।

ऐसे की गई है इस ऐप की प्रोग्रामिंग :-
● इस स्मार्ट एप में एआई के न्यूरल नेटवर्क के साथ फोटो-प्लेथिस्मोग्राफी तकनीक और एल्गोरिदम का इस्तेमाल किया गया है।
● एप आपसे आपके लिंग यानी पुरुष या महिला के साथ ही उम्र आदि की जानकारी मांगता है।
● गर्भवती महिलाओं के लिए एप में अलग से प्रोग्रामिंग की गई है, क्योंकि उनके खून में स्वाभाविक रूप से आयरन व हीमोग्लोबिन थोड़ा कम होता है।
● फोटो-प्लेथिस्मोग्राफी की मदद से धमनियों में खून के बहाव और वॉल्यूम चेंज का विश्वलेषण किया जाता है।
● एआई व एल्गोरिदम के जरिए लिंग, वजन व उम्र आधारित खून में हीमोग्लोबिन के आदर्श मानकों से मिलान कर एप झट से नतीजे बता देता है।

पैथोलॉजी की जांच से 93 फीसदी मेल खाते हैं नतीजे :-
एप की विश्वसनीयता और सटीकता जांचने के लिए अलग-अलग आयु वर्ग के 525 लोगों पर इसका ट्रायल किया गया। मेरठ के सुभारती मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की मदद से एक स्वास्थ्य कैंप में इन 525 लोगों के खून का नमूना इकट्ठा कर पैथोलॉजी में हीमोग्लोबिन की जांच की गई। इसके बाद इस स्मार्ट एप से उनकी जांच कर दोनों नतीजों का मिलान किया गया। लैब और एप के नतीजों में 93.5 फीसदी की समानता पाई गई। अब यह आरोग्यशक्ति एप पेटेंट की प्रकिया में है।

सुदूर ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं, बच्चों व बुजुर्गों के लिए यह एप बेहद काम का साबित होने वाला है। गांवों में लैब व पैथोलॉजी की उपलब्धता कम ही होती है। ऐसे में इस एप से एनीमिया की प्राथमिक पहचान (स्क्रीनिंग) के बाद समय पर उचित इलाज व पोषण दे सकते हैं। – डॉ. सुमित श्रीवास्तव, वैज्ञानिक अधिकारी, उ. प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद

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