
“जिसकी जितनी भागीदारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी” — विधानसभा चुनाव 2027 की राजनीति बदलेगी करवट!
देहरादून, उत्तराखंड
आगामी विधानसभा चुनाव 2027 में जन अधिकार पार्टी–जनशक्ति की एंट्री ने उत्तराखंड की सियासी ज़मीन को गर्मा दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आज़ाद अली ने साफ किया है कि अब वक्त आ गया है कि समाज को उसकी वास्तविक हिस्सेदारी मिले — जितनी भागीदारी, उतनी हिस्सेदारी।
केंद्र सरकार जब जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना की बात कर रही है, तब यह सवाल और भी प्रासंगिक हो जाता है कि आखिर किस समाज को उसकी भागीदारी के अनुपात में प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिलता ?
हरिद्वार में मुस्लिम वोट निर्णायक, फिर भी मुस्लिम नेतृत्व गायब!
हरिद्वार जिले में मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, लेकिन जब बात टिकट या विधानसभा में प्रतिनिधित्व की आती है, तो तस्वीर बदली नजर आती है। वर्षों से यही होता आया है — वादों की सियासत होती है, लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है, तो मुस्लिम समाज को दरकिनार कर दिया जाता है।
राजनीतिक पार्टियां वोट तो मांगती हैं, लेकिन नेतृत्व देने से कतराती हैं — जिससे मुस्लिम समाज खुद को ठगा हुआ और हाशिये पर महसूस करता है।
जन अधिकार पार्टी–जनशक्ति का वादा : अबकी बार इंसाफ़ के साथ टिकट!
राष्ट्रीय अध्यक्ष आज़ाद अली ने दो टूक कहा है कि —
“हमारी पार्टी भले नई हो, लेकिन हमारे लोग पुराने और अनुभवी हैं। हमने हर पार्टी में अन्याय देखा, अब हम योग्य लोगों को टिकट देंगे — चाहे वो किसी भी जाति या धर्म से हों।”
हरिद्वार जिले में पार्टी की सक्रियता और ज़मीनी जुड़ाव ने संकेत दे दिए हैं कि इस बार चुनाव में बदलाव की आंधी चल सकती है।
टिकट मिलेगा भागीदारी के आधार पर, न कि जान-पहचान से
पार्टी की नीति साफ़ है — जिस क्षेत्र, समाज, या वर्ग की जितनी संख्या होगी, उसे उतनी ही राजनीतिक हिस्सेदारी भी मिलेगी। पार्टी सर्वे, जन संवाद और ज़मीनी भागीदारी के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करेगी — न कि सिर्फ रसूख या रिश्तों के दम पर।
जन अधिकार पार्टी–जनशक्ति का नारा गूंज रहा है
“अबकी बार न्याय की सरकार — जिसकी जितनी भागीदारी, उतनी उसकी हिस्सेदारी!”
DR. GULBAHAR
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